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त्यौहार / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
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ईद, बड़ा दिन, होली, दीवाली
लाते हैं जीवन में हरियाली।
मीठी सिवई ईद खिलाती है
दुश्मन से भी गले मिलाती है
सत्य, अहिंसा, प्रीति बड़े दिन की
जीने का अंदाज सिखाती है
है ये सुख के ताले की ताली।
होली तो मस्ती का मौसम है
जितना भी हुड़दंग करो, कम है
रंग खुशी के बिखर-बिखर जाते
रह पाता न कहीं कोई गम है
भू से नभ तक लाली ही लाली,
ढेर उजाला लाती दिवाली
लक्ष्मीजी भरतीं सबकी थाली
राकेट, बम, फुलझड़ी, अनार चले
मेवा और मिठाई रस वाली
सब त्यौहार बाँटते खुशहाली।