भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़रा देखो / अंजना वर्मा
Kavita Kosh से
					Sharda suman  (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:10, 28 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ज़रा देखो
कि कहाँ है हवा? 
कहाँ है पानी? 
कहाँ है स्त्री? 
जहाँ भी है ये तीन चीजें
वहाँ ज़िन्दगी है
 
	
	

