भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार सच्चा प्यार होना चाहिए / शोभा कुक्कल

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:21, 22 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शोभा कुक्कल |अनुवादक= |संग्रह=रहग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार सच्चा प्यार होना चाहिए
पेड़ सायादार होना चाहिए

बस्तियों में है जो दहशत हर तरफ
इसका कुछ उपचार होना चाहिए

लाख दुनिया में बनें दुश्मन मगर
इस का भी मय्यार होना चाहिए

चाह इन आंखों की बस इतनी सी है
आपका दीदार होना चाहिए

ज़िन्दगी में काम नेकी का करें
आप से उपकार होना चाहिए

देश पर क़ुर्बान होने के लिए
हर कोई तैयार होना चाहिए

डॉक्टर भी शहर के फूलें फलें
शहर को बीमार होना चाहिए

ये तक़ाज़ा पांव के छालों का है
रास्ता पुर-ख़ार होना चाहिए।