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अझुरायल परान / रामकृष्ण

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अँगना में पसरल इंजोरिया हो
सुतरल एसो धान,
जिनगी के कनसल उमिरिआ हो
ललिआएल बिहान॥

माटी के कन-कन में उमगल सिनेहिआ
गावइ पिरितिआ के गीत।
गोधन के दिनमा से असराएल मनमा
सपना हे हिरदा के मीत॥

अँगिआ में हरखे गुदगुदिआ हो
अझुराएल परान॥

बगिआ में कइसेतो उचरइ बँसुलिआ
नदिआ के मनहारल धार।

दुबिअन पर चकमक के नन्हमुनियाँ मोती
धरती के अजगुत सिंगार॥

पोखरा फुलाएल पुरैनिआँ हो
सुरिआएल गेयान॥
बरती के अँचरा में सरधा उरेहल
पिपनीतर मन्नित के बोल।
जिनगी-रसे मातल लहसे असरवा
परखइ सिनेहिआ के मोल॥
छानी तर उझकइ चन्ननिआँ हो
सुधिआएल किसान॥