भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शिकायत नहीं / स्नेहमयी चौधरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:49, 12 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्नेहमयी चौधरी |संग्रह=पूरा ग़लत पाठ / स्नेहमयी चौधरी }...)
मेरे बच्चे को मुझ से कोई शिकायत नहीं।
मैंने रात में सोते समय कभी
नानी की कहानियाँ नहीं सुनाई,
खाने-पीने में उसकी रुचि नहीं पूछी,
साथ बैठकर, उसके दोस्तों के साथ होने वाले
लड़ाई-झगड़े नहीं सुलझाए।
मैंने उसके
खेलने और भटकने पर कभी बंधन नहीं लगाया,
क्योंकि कामों की भीड़ निपटाने के लिए
मुझे समय चाहिए था।
मैं व्यस्त थी।
धीरे-धीरे
उसकी आदत बन गई--
कामिक्स,टी वी और रेडियो में
अपने को व्यस्त रखने की
अब मैं उसके लिए अनावश्यक हो गई हूँ।
मुझे इस बात की शिकायत है।