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गणेश वंदना / पद्मजा बाजपेयी
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देवों के देव गजानन!
हमारा नमन करो स्वीकार। ....
शब्दों का ही फूल ही चढ़ाऊँ,
शब्दों का ही हार,
हमारा नमन...
अर्थ पूर्ण हो काव्य हमारा।
ऐसा दो वरदान, बुद्धि के भंडार।
हमारा नमन करो...
भक्ति भाव को कभी न भूलूँ,
ऐसा दो वरदान,
हमारा नमन करो स्वीकार।