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पक्षी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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नीले नभ का पंछी हूँ मैं
गंध पवन का साथी हूँ
नीड़ बनाता हूँ हर डाली
हरी भरी पन्ने की प्याली
फुदक फुदक कर दाना लाता
गीतों से ही मेरा नाता
जागो कह कर सुबह जगाता
चलो काम पर यही सिखाता
जल्दी सोना जल्दी उठना
समय न खोना यही सिखाता