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जागृति आयो / युद्धप्रसाद मिश्र

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भोका नाङ्गा पीडितहरूको
पीडाको अब आयो आँधी
महल अटारी हल्लिन लागे
हिमगिरीको पनि टुट्यो समाधी

विलासितामा हुन गो हलचल
श्री सम्पत्तिकन लाग्यो ब्याधी
ठूला-ठालुका चम्चाहरू सब
गए हतासिन सङ्गीनवादी

जनतालाई उठ्नै नदिने
जालझेलले पल्टा खायो
प्रतिगामीकन निष्कृय पार्दै
जीवित जागृत दुनियाँ आयो