भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गहन / सपन सारन
Kavita Kosh से
					अनिल जनविजय  (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 13 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सपन सारन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अँधेरे को चीरती हुई 
एक तीखी आवाज़ 
पहुँचती है मुझ तक 
वो इस क्षण है 
अगले, नहीं। 
ये जान मन में एक 
अजीब कुलबुलाहट होती है 
मानो अलौकिक किसी संसार से 
कोई गहन कुछ बोल रहा है 
जो इस पल है 
और अब ... नहीं।
 
	
	

