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झड़ते पत्ते / सुरेश विमल

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झर झर-झर झर
झरते पत्ते
सर सर-सर सर
करते पत्ते

दूर-दूर से
आते उड़ के
पीले पीले पीपल बड़ के
डगर गाँव की
भरते पत्ते।

खड़ खड़-खड़
खड़ताल बजाते
आंगन आंगन
शोर मचाते
बच्चों जैसे
लड़ते पत्ते

मैदानों में
दौड़ लगाते
लोटपोट हो
मौज मनाते

गिर नदिया में
तिरते पत्ते!