भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काठचम्पा / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:10, 30 मई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
फूली काठचम्पा
झरी —
फूलों में !
कैसी अनुकम्पा
फिर भरी
काठचम्पा
डालों में
अपनी (वह)
फूलों से
भरी !
काठचम्पा ! !