भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँद मियां / मेराज रज़ा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 18 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मेराज रज़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बैठे हो कि खड़े हो,
या खाट पर पड़े हो!
झूल रहे झूला या
कहीं लटके पड़े हो!

ताड़ पर या झाड़ पर
कहाँ अटके पड़े हो!
घर के अंदर अपने
कितने बल्ब जड़े हो?

तारों के आंगन में
आकर भटके हो?
सच में चाँद मियां तुम
सबसे हटके हो!