भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक अहसास / सुरजीत पातर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:34, 12 मई 2024 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इधर डूबता सूरज है
उधर झड़ते पत्ते हैं
इधर विह्वल नदी है
उधर सूना पथ है

मेरे चारों ओर ये
दर्पण क्यों लटका दिए

पंजाबी से अनुवाद: चमन लाल