भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मगध / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:33, 26 दिसम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेन्द्र जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
श्रीकांत वर्मा को याद करते हुए
जैसा अभी दिख रहा है
मगध ऐसा ही रहा होगा
श्रीकांत अब नहीं हैं
लेकिन मगध के राजपथ हैं
जिन पर अभी अभी छिड़का गया है
पवित्र जल
कलिंग के रक्तपात के बाद
अशोक कह रहा है अपने
‘मन की बात’
हतप्रभ हैं श्रेष्ठिवर्ग
आमात्य, मुख्य आमात्य
पहरेदार, चोबदार, रंगदार
विप्रों की टोली
मगध आज विनाश के उत्तुंग शिखर पर है
पाटलिवुत्र से निकला है क़ाफ़िला
नागपूर से कर रहा है कूच कापालिक
श्रीकांत नहीं रहे
मगध जस का तस है
2018, उज्जैन