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पीसें चक्की / सूर्यकुमार पांडेय
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पीसें चक्की
मोटी कक्की
कक्की हैं मोटी ।
पण्डित नाटा
लेकर आटा
सेंक रहे रोटी ।
ख़ुद भी खाते
उन्हें खिलाते
दोनों ख़ुश होते ।
पण्डित नाटा
भर खर्राटा
दस घण्टे सोते ।