भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द-6 / केशव शरण
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:17, 29 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव शरण |संग्रह=जिधर खुला व्योम होता है / केशव श...)
शब्द
समय चुनते हैं
और चुनने में
समय लगता है
कब तक चुप
कौन बैठता है
इसीलिए वार ख़ाली जाता है
और आदमी मात खाता है