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आग (दो) / विष्णु नागर
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यह आग है
तो फैलती क्यों नहीं?
यह आग है
तो मैं पानी नहीं हूँ
यह आग है
तो मैं घास हूँ
यह आग है
तो मैं हवा हूँ
यह आग है
तो मैं आग हूँ
आग फ़ैलती क्यों नहीं?
यह आग है
तो सीता जलती क्यों नहीं?