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माँ के शव के पास रात भर जागने की स्मृति / विष्णु नागर
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सबेर हुई जा रही है
माँ को उठाना है
प्राण होते तो माँ ख़ुद उठती
माँ को उठाना है
नहलाना है
नए कपड़े पहनाने हैं
अंत तक ले जाना है
स्मृति को मिटाना है।