भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उम्मीदे-अमन क्या हो याराने-गुलिस्ताँ से / सीमाब अकबराबादी
Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:54, 3 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} Category:गज़ल <poem> उम्मीदे...)
उम्मीदे-अमन क्या हो याराने-गुलिस्ताँ से।
दीवाने खेलते है अपने ही आशियाँ से॥
बिजली कहा किसी ने, कोई शरार समझा।
इक लौ निकल गई थी, दागे़-ग़मे-निहाँ से॥