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माना इसकी निढाल चाल नहीं / प्राण शर्मा
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माना इसकी निढाल चाल नहीं
ठीक लेकिन जहाँ का हाल नहीं
कौन है दोस्त है सवाल मेरा
कौन दुश्मन है यह सवाल नहीं
काश हमदर्द भी कोई होता
दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं
यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
हर कोई पर नमक हलाल नहीं
उससे उम्मीद कोई किया रखे
जिसको अपना कोई ख्याल नहीं
कुछ न कुछ तो कमाल है सब में
माना हर चीज़ पर जमाल नहीं
’प्राण’ छलकेगा यह भला क्यों कर
दूध में एक भी उबाल नहीं