भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माना इसकी निढाल चाल नहीं / प्राण शर्मा

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:55, 4 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्राण शर्मा }} Category:गज़ल <poem> माना इसकी निढाल चाल ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माना इसकी निढाल चाल नहीं
ठीक लेकिन जहाँ का हाल नहीं

कौन है दोस्त है सवाल मेरा
कौन दुश्मन है यह सवाल नहीं

काश हमदर्द भी कोई होता
दोस्तों का यहाँ अकाल नहीं

यूँ तो खाते हैं सब नमक यारो
हर कोई पर नमक हलाल नहीं

उससे उम्मीद कोई किया रखे
जिसको अपना कोई ख्याल नहीं

कुछ न कुछ तो कमाल है सब में
माना हर चीज़ पर जमाल नहीं

’प्राण’ छलकेगा यह भला क्यों कर
दूध में एक भी उबाल नहीं