भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रभु गिरधर नागर / मीराबाई
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:11, 6 दिसम्बर 2006 का अवतरण
रचना संदर्भ | रचनाकार: | मीराबाई | |
पुस्तक: | प्रकाशक: | ||
वर्ष: | पृष्ठ संख्या: |
बरसै बदरिया सावन की
- सावन की मनभावन की।
- सावन की मनभावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा
- भनक सुनी हरि आवन की।
- भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़ घुमड़ चहुँ दिसि से आयो
- दामण दमके झर लावन की।
- दामण दमके झर लावन की।
नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै
- सीतल पवन सोहावन की।
- सीतल पवन सोहावन की।
मीराके प्रभु गिरधर नागर
- आनंद मंगल गावन की।
- आनंद मंगल गावन की।