भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वरित / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 29 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> स्वरित चमक रहा…)
स्वरित चमक रहा है टी०वी० स्क्रीन पर
आसमान में चाँद की तरह
स्वरित को कुमार स्वरित कहा जा रहा है
उसकी तुलना कुमार गंधर्व से हो रही है
गा रहा है स्वरित
सा रे गा मा के मंच पर
उसकी माँ की आँखें डबडबा रही है
जजों के मुँह खुले के खुले हैं
भूल गए हैं लोगों के हाथ ताली बजाना...
आठ साल का है स्वरित
वैसे ही स्वरित की तरह
एक लड़का है
उसके पिता ने लड़के का नाम ‘ओशो’ रखा है
वह भी आठ साल का ही है
कैंसर से लड़ रहा है
पूरी तरह झड़ चुके हैं उसके बाल
गंजे और बड़े सर वाला ओशो
प्रितीश नंदी की तरह दीखता है
एक बच्चा और है
टी०वी० पर देखा मैंने
नाम उसका स्वरित नहीं है लेकिन
स्वरित की तरह
आठ साल का बच्चा है वह भी
उसकी पीठ पर बम बँधा है....