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दोपहर / प्रयाग शुक्ल

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दोपहर

ठण्ड है दोपहर में
ठण्ड से अलग रात की
सुबह की ठण्ड से अलग

        ठण्ड दोपहर में-

मद्धिम हो रही है धूप
उड़ रहे हैं पत्ते सूखे
चल रही है हवा

        गहराती ठण्ड को!

आ रही है ठण्ड की महक से-

        याद-

दोपहर

ऎसी ही एक दोपहर को
हुए थे हम अलग
समेट एक-दूसरे को!

सूखे पत्तों का विषाद

        ठण्ड में

दोपहर की!