भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई डाकिया आज / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:39, 29 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देह पर डूबते रंग उदास हैं
कि छिपा रहा सूर्य बादलों की ओट में

देह पर अनमनी पत्तियाँ उदास हैं
कि दुबकी रहीं चिड़ियाँ शिशिर कोहरे में

कोई गीत नहीं गाया गया
ढलती हुई यह सांझ उदास है
कि नहीं आया कोई डाकिया आज

और इस तरह नहीं पहुँची कोई चिट्ठी घर से आज फिर