भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अरण्यानी / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 12 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह=अरघान / त्रिलोचन }} {{KKCatKavita‎}} <poem> रा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात गहराते ही
करौंदी की अरण्यानी
महामोद अपना
लुटाने लगी

आकुल उच्छवास से
आमोद यह
अरण्यानी लाँघ कर
पूरब, पच्छिम, उत्तर, दक्खिन तक
पसरा

आकाश से बोली अरण्यानी
देखो, जितने तुम्हारे पास तारे हैं
मेरे पास फूल हैं
मेरे इन