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एकान्त / अमृता भारती
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एकान्त-
जब वह होता
जब वह न होता-
कितना भरा हुआ होता
एकान्त
उससे
उसके स्मरण से ।
रुक जाता हर क्षण
सब कुछ एकटक हो जाता
घर के अन्दर
या देहरी पर-
एकान्त
कितना परिपूर्ण होता
उससे
जब वह होता
जब वह न होता ।