भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डरता है / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:56, 29 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्‍ख / लीलाधर म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जिनको नहीं चाहिए अधिक
बहुत है दो जून की रोटी
और गाने की छूट

बुहार सकते हैं जो
आसमान और धरती

डरता है उनसे खुदा भी