भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अलगाव / अब्बास कियारोस्तमी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पतझड़ की
दोपहर

चिनार का
पत्ता
आहिस्ता से
अलग होकर
गिरता है

अपनी ही
परछाईं पर

हिन्दी में अनुवाद : असद ज़ैदी