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एक तुम / गुँजन श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
गणित की अनन्त तक
फैली भुजाओं
अंकों पर शून्यों की बेशुमार सजावट
उनके अनगिनत विकल्प
और संख्याओं के
बीच तुम
बताती हो मुझे :
‘एक’ का महत्व,
मेरी इस तन्हाई में !