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एक दिन / वंदना मिश्रा
Kavita Kosh से
लोगों के स्वाभिमान को
कुचल कर
अपने पैरों तले जो
पिरामिड बनाया तुमने
किसी दिन उसी की सीढ़ी बना
दुःख तुम तक पहुँच जाएगा
और तुम्हारे कद से ऊँचा
हो जाएगा।