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एक पल / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
एक पल:
गिरने से पहले
फूल हवा में
अटका
एक पल:
अंगार दहकता
सौ अग्नि हो
चटका
एक पल:
जाना उसका
रात गए तक
खटका