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क्यों हो ऐसे आँख चुराते क्या सब बातें भूल गये / रंजना वर्मा
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क्यों हो ऐसे आँख चुराते क्या सब बातें भूल गये
जन्मों तक जो साथ निभाते रिश्ते नाते भूल गये
पहली बार मील थे जब वह हाथ दबाना याद नहीं
अम्मा से फिर कई बहाने रहे बनाते भूल गये
जन्मों तक हम साथ रहेंगे दिया भुला उस वादे को
प्यार भरी नज़रों की दीं सारी सौगातें भूल गये
चुटकी भर सिंदूर उठा कर जिस दिन मांग सजायी थी
आँखों ने आँखों से कीं जो सारी बातें भूल गये
दुख की फटी बिवाई में चाँदनी लगती थी मरहम
सोने से दिन चाँदी सी वो सारी रातें भूल गये
जाने कैसी भूल हो गयी तुम से यह अनजाने ही
ठहरी जीवन नैया की पतवार चलाते भूल गये
हम जीवन में तुम्हें भूल दें आने वश की बात नहीं
तुम को हक़ था हमे जहां से जाते जाते भूल गये