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खिल गया मन का कमल जब चाँद का आँगन मिला / मृदुला झा
Kavita Kosh से
मिट गई दुश्वारियाँ जब यार का दामन मिला।
प्यार बिन ये शाम भी कितनी अधूरी लग रही,
हो गई हर चाह पूरी आप-सा साजन मिला।
जाने कितनी रात उनकी याद में रोते कटी,
जब मिलन की रात आई प्यार का दुश्मन मिला।
यादें सब बीते दिनों की अब पुरानी हो गई,
आँख भर आई हमारी जब नया आँजन मिला।
देश में हलचल मची है आज कुर्सी के लिए,
नाप लेंगे सारी धरती ‘‘आप’’ सा वामन मिला।