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तिरकिणो रस्तो / हरि दिलगीर
Kavita Kosh से
समे जो सतहु तिरकिणो,
हली हली किरी पवां,
किरी किरी उधण लॻां,
उथी उथी हलण लॻां,
हली हली वरी किरां,
इएं ई बस पयो हलां!
न राह जो पतो अधमि,
न माॻ जीखबर अधमि,
अलाजे छा करिां पयो,
अलाजे छो करियां पयो!