भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी / अशोक शुभदर्शी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बचलोॅ छै
पोखर में
थोड़ोॅ पानी
बचलोॅ छै पोखर में
जतनां टा पानी
बचलोॅ छै
ओतने टा तालाब

बचलोॅ छै
गंगा में
थोड़ोॅ टा पानी
बचलोॅ छै
गंगा में जतनां टा पानी
बचलोॅ छै
ओतने टा गंगा।