भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे (1) / सत्यनारायण सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 मेरे बच्चे
कितने समझदार हैं
भूखे पेट सो जाते हैं
और
चूं तक नहीं करते।

बच्चे
उनके भी समझदार हैं
जो आम के छिलके
हमेशा
कूड़ादान में ही डालते हैं।

1988