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बाल्य विवाह / प्रेमघन
Kavita Kosh से
प्रधान प्रकार का पंचम विभेद
स्थानिक ग्राम्य स्त्री भाषा
भौंरा चकई बहाय, गुल्ली डण्डा बिसराय,
तनी नाचः इतराय, मोरे बारे बलँमू।
करिहैंयवां हिलाय, औ भँउहँ मटकाय,
ताली दै कै चमकाय, मोरे बारे बलँमू।
खोंड़ी दँतुली दिखाय, तनी-तनी तुतराय,
गाय सोहर सुनाय मोरे बारे बलँमू।
आवः यहर नगिचाय, घँघरी देई पहिराय,
सुन्दर ओढ़नी ओढ़ाय, मोरे बारे बलँमू।
नैना काजर सुहाय, देई सेंदुर पहिराय
माथे टिकुली लगाय, मोरे बारे बलँमू।
नई दुलही बनाय, गोदी तोहके उठाय,
मुँह चूमब खेलाय, मोरे बारे बलँभू।
पावै पावौं न उठाय छाती, बाल पिय पाय,
गोरी कहतौ सरमाय-मोरे बारे बलँमू।
प्रेमघन अकुलाय, रस बिना बिलखाय,
कहै खिल्ली-सी उड़ाय, मोरे बारे बलँमू॥138॥