भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बैंड वादक / सुदर्शन वशिष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नहीं लड़े उन्होंने कोई युद्ध
नहीं देखी रणभूमि
कभी गाया देश प्रेम का तराना
कभी बजाई मंगलधुन
सजी-सजाई वर्दियों में
हर गणतंत्र दिवस परेड में
किया मार्च पास्ट।

रणभेरी नहीं है इनके पास
नहीं युद्ध का दमामा
कुछ साज हैं अंग्रेजी राज के
जो बजाए जा रहे वर्षों।

दूसरों की खुशी में गाना
गमी में बजाना
इनकी नियति है।