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मिलना-पाना / साधना सिन्हा
Kavita Kosh से
					
										
					
					जो मिला
न हमें किसी से
खुश हो ले मन
औरों के पा लेने से ! 
दे दो वह सब
दे सको अगर
आकांक्षा,  चाहत
जीवित–मृत्यु में
राहत
जूझे न वे तुमसे
बुझे न वे
दुख से
याद न करें बीता
बदली छटके
सूरज निकले सबका 
 
 
	
	

