भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द-1 / केशव शरण
Kavita Kosh से
मेरे पास शब्दों की कमी नहीं है
बस उनके प्रयोग की प्रविधि नहीं है
इसीलिए मैं प्रेम में असफल रहा,
पंचायत में हारा,
कविता में भी मैंने कोई तीर नहीं मारा।