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सेंध / लाल्टू
Kavita Kosh से
तुम्हारे इंतजार में
सुबह गई
शाम गई
थकी रीढ़
थक गई आँखे
तुम आईं
साथ लाईं
एक लम्बी मोटी दीवार
आशा कुरेदने लगी है
दीवार को
कहीं धोखे से
लगा रखि हो तुमने सेंध कहीं।