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अंग्रेजी टयूसण / रूपसिंह राजपुरी
Kavita Kosh से
घर आली एक दिन,
जद घरां आई हांड।
बोली, अंगरेजी पढस्यूं,
पढासी मैडम टांड।
दो चार दिन चाल्यो टयूसण।
फैल गयो संस्कृतियां गो प्रदूसण।
दोन्यूं हो गयी चूंडम-चूण्डा।
गंदी गाळ काढै बोलै भूण्डा।
टयूसण गै असर,
तो कर दीयो कांड।
आ बीनै कैवै 'बल्लडी फूल',
बा ईनै कैवै कुत्ती रांड।