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अच्छा ही है / उमा अर्पिता
Kavita Kosh से
जिंदगी अगर गर्म, कुनकुनी
धूप का हिस्सा होती, तो
कितना अच्छा होता!
तब चाहत की तितली
वक्त के कँटीले तारों में
उलझकर दम न तोड़ती!
अच्छा ही है कि
दिन चढ़ने से पहले ही
मेरी आँखों में
उतरने लगी है, शाम...