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अपन समाजमे / गंग नहौन / निशाकर
Kavita Kosh से
अपन समाजमे
पजरि गेल अछि
क्रोध
घृणा
आ अहंकारक आगि।
छिड़ियाएल अछि
लिंग
जाति
आ सम्प्रदायवादक माहुर।
सूति गेल अछि
पुलिस
कानून
आ सत्ताक करपरदार।
जहिया धरि रहत
पृथ्वी पर मनुक्ख
ओकरा मोनमे पोसाइत रहतैक
सृजन करबाक लिलसा।