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अब तो बिहारी के वे बानक गए री / दास

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अब तो बिहारी के वे बानक गए री,तेरी
             तन दूति केसर को नैन कसमीर भो.
श्रौन तुव बानी स्वाति बूँदन के चातक में,
             साँसन को भरिबो द्रुपदजा को चीर भो.
हिय को हरष मरु धरनि को नीर भो,री!
             जियरो मनोभव सरन को तुनीर भो.
एरी! बेगि करिकै मिलापु थिर थापु,न तौ,
             आपु अब चहत को सरीर भो.