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अलगाव / अब्बास कियारोस्तमी
Kavita Kosh से
पतझड़ की
दोपहर
चिनार का
पत्ता
आहिस्ता से
अलग होकर
गिरता है
अपनी ही
परछाईं पर
हिन्दी में अनुवाद : असद ज़ैदी