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अॼु जंहिं सूरत में / श्रीकान्त 'सदफ़'
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वेही ॻाल्हाइण जी
यानी
असां जे मिलण जी, गॾिजण जी
का बि उम्मीद कान बची आ
हीउ मुफ़ासिला बणाए रखण जो
कहिड़ो मक़्सदु वञी बचियो आहे!