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आगाज़ की तारीख़ / फ़रहत एहसास
Kavita Kosh से
इक मुसाफ़िर हूँ
बड़ी दूर से चलता हुआ आया हूँ यहाँ
राह में मझसे जुदा हो गई सूरत मेरी
अपने चेहरे का बस इक धुँधला तसव्वुर है मेरी आँखों में
रास्ते में मेरे कदमों के निशाँ भी होंगे
हो जो मुमकिन तो उन्हीं से
मेरे आगाज़ की तारीख़ सुनो.