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आतंकवादी चाल तू / प्रेमशंकर रघुवंशी

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प्रेतमंत्र की धुन पर

प्रेत तू, पिशाच तू, अला-बला का जाल तू !
तेग तू, तलवार तू, नहीं किसी की ढाल तू !!

जो भी काम बिगाड़े तेरा, हो उसको जल्लाद तू !
मार शटाशट सौ-सौ हंटर, उसकी खाल निकाल तू !!

तुझको आँख उठा जो देखे, उसकी आँख निकाल तू !
जो भी तेरा कहा न माने, नोंच उसी के बाल तू !!

ब्रह्म तू, ब्रह्माण्ड तू, आतंकवादी चाल तू !
हँसती खिलती भरी सृष्टि पर पड़ता हुआ अकाल तू !!

मानवता का भाव मिटाने, मत चल ख़ूनी चाल तू !
भूख ग़रीबी लाचारी को, अपनी बाँह सम्हाल तू !!

अब तो जग से बारूदों के, बुरे इरादे टाल तू !
जाल और जंजाल बला को, मत अपने में पाल तू !!
                         मत अपने में पाल तू !
                         मत अपने में पाल तू !!