भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस आयोजन में / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


इस आयोजन में सबसे अधिक
देखने की मुद्रा में हैं अंधे
सुनने की मुद्रा में बहरे

सम्मानित हो रहे हैं तटस्थ
दोग़लों की पीठ
थपथपाई जा रही है
गूँगों के लिए माईक की
समुचित व्यस्था है

आयोजक रह-रह कर
तालियाँ बजा रहे हैं